रविवार, 2 अप्रैल 2017

गांव गणराज्य ससलाई चिखली में आदिवासी परिवार का चिंतन शिविर सम्पन्न हुवा 02/04/2017

गांव गणराज्य ससलाई चिखली में एक दिवसीय आदिवासी परिवार का चिंतन शिविर सम्पन्न हुवा                               02/04/2017


                                     
   आदिवासी परिवार के इस एतिहासिक शिविर में मुख्य वक्ता

 समाज सेवी देवेन्द्र कटारा, डॉ किशोर डामोर,कान्ति भाई

 आदीवासी, विजय भाई , डॉ वेलाराम गोगरा, मेनका डामोर,

जिनल बरजोट, रामप्रसाद डिण्डोर, व चंदू भाई बरण्डा ने

डक्यूमेंट्रीय हा हवाला दिया,


आदिवासी ही इस देश का मालिक ऑनर कैसे ?

 मंथन विश्लेषण हुआ आज दिनांक 02/04/2017 रविवार के

एक दिवसीय चिंतन शिविर जो आदिवासी महासभा के मार्गदर्शन

और आदिवासी परिवार की मजबूत विचारधारा में सयुक्त

पारम्परिक ग्रामसभाओं के नेतृत्व में ग्राम गणराज्य ग्राम सभा

ससलाई,चिखली डूंगरपुर में सम्पन्न हुआ,

-सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट 2011#8%आदिवासी ही इस देश का
मूळ मालिक हे।
-संविधान के अनुसार भारत के चार राज्यों को 6वी अनुसूची यानि आर्टिकल 244(2)का दर्जा प्राप्त है ।असम मेघालय मणीपुर आदि ।


जबकि 5वी अनुसूची यानि आर्टिकल 244(1)वाले राज्यों में लगभग 10 राज्य शामिल है ।इनमें - म प्र ,छ ग, झारखंड, उडीसा,तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र,गुजरात ,राजस्थान, आदि ।पांचवी और छटवी अनुसूची राज्यों व क्षेत्रों के समस्त खनिज मुरम बालू पत्थर बाक्साइट कोयला तांबा ऐसे लगभग 86खनिज तत्वों पर उस क्षेत्र में रहने वालेआदिवासीयों का अधिकार है।।उस क्षेत्र में होने वाले जल (सिंचाई स्रोत) जंगल (वन संपदा )कुल मिलाकर 5वी व 6 वी अनुसूची के सारे जल जंगल जमीन पर उस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासीयों का पूर्ण अधिकार है ।पांचवी व छटवी अनुसूची राज्य व क्षेत्र पर सरकार ( केंद्र व राज्य सरकार) का अधिकार नही है ।



समता जजमेंट के अनुसार इन क्षेत्रों की एक इंच जमीन केंद्र या राज्य सरकार व गैर आदिवासी की नही है।
कुल मिलाकर यह बात निकल कर सामने आती है कि भारत के 5वी अनुसूची वाले 10 राज्य व 6 वी अनुसूची वाले 4 राज्य ही पुरे भारत को पालने यानि भरण पोषण का काम कर रहे है।



इन क्षेत्रों में केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने अपना कब्जा बना कर रख लिया है ।अभी कुछ दिन पूर्व केंद्र सरकार का एक स्टेटमेंट आया था कि केंद्र सरकार का खजाना खत्म हो गया है ।इसका मतलब केंद्र सरकार के पास कुछ नही है।केंद्र सरकार की नजर अब इन्ही क्षेत्रों पर ज्यादा दिखने पड़ने लगी हे।
 कहि आप हम 5 वी,6वी अनुसूची राज्यों व क्षेत्रों में काबिज तो नही हे ? 



जागो भारत इण्डिया के मूळ बीज मूळ वतनी मूळ मालिकों जागो-अब भी वक्त है समय रहते अपने जल,जंगल,जमीन पर अपना पूर्ण कब्जा कर लो।



लडो डॉक्यूमेंट्री संवैधानिक मूळ मालिकाना हक के साथ।
लडो जुडिशियली-नॉन जुडिशियली संविधान कुदरती कानून के साथ।


आपके सारे हक अधिकार सुरक्षित है बस दो कदम साथ चलने की जरूरत है मालिकत्व के कदम के साथ।
लड़ेंगे जीतेंगे दो कदम साथ चलने की जरूरत हे पारम्परिक गाँवो में जनजागरण के साथ।



न्यूज रिपोर्टर A/C अम्बालाल सरपोटा 

जय जोहार                   जय भील प्रदेश।             जय आदिवासी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें